Wednesday, 31 May 2017

When Start Of Share Market In India ? L2

भारत में शेयरमार्केट का इतिहास लगभग 200 साल से भी अधिक पुरानी है। भारत में शेयरमार्केट की शुरुआत सन् 1800 में ही आरम्भ हो गई थी ।

आगे बताने से पहले आप को कुछ शब्दों का मतलब बता देते है जिससे आप को आगे पढ़ने में कोई परेशानी ना हो।



Broker (शेयर दलाल) - जो कंपनियों के शेयर का कारोबार या जो कंपनियों के शेयरों को बिकवाते थे। और बदले में शेयर दलाल कंम्पनी और निवेशक दोनो से कुछ कमीशन लिया करते थे।
Invest (निवेश) - धन का निवेश।
Investor (निवेशक) - जो लोग कंपनियों में अपने धन को निवेश करते थे।
Dividend (लाभांश) - कंम्पनी को हुए कुल आर्थिक लाभ का किसी निवेशक द्वारा किये गए निवेश के अनुपात में निवेशक को मिलने वाला लाभ।

कैसे होता था पहले शेयर मार्केट कारोबार



शुरुआत में कुछ ही कारोबारी शेयरमार्केट का कारोबार किया करते थे जिन्हें शेयर दलाल ( Broker) कहा जाता था। शेयर दलाल उस समय के नए कंपनियों में बड़े-बडे़ धनवान लोगों से मिलकर कंपनियों में धन निवेश ( Invest)  करवाते थे और फिर कंपनियों से मिलने वाले लाभ को निवेशकों द्वारा किये गए उनके निवेश के अनुपात में लाभांश (Dividend)  देने का लेखा-जोखा रखते थे। इस तरह शेयर दलालों का बड़े-बड़े लोगों से साहूकार होने लगा तथा उस समय के धनवान लोग भी इन शेयर दलालों के जरियें अच्छे लाभांश देने वाली कंपनियों में निवेश करने लगें जिससे धनवान लोगों को बिना कुछ किये ही उनके धन से धन बनने लगा। लेकिन यहां तक तो सिर्फ पारम्परिक निवेश प्रक्रिया का ही विनिमय होता था।

कुछ समय पश्चात जब कुछ निवेशकों (Investors) ने पुरानी तथा ज्यादा मुनाफा देने वाली कंपनियों ने निवेश की ईच्छा जाहिर की तो ये असमंजस का कारण बन गया क्योंकि जो कंम्पनी कई सालों से पुरानी है तो उसके कुल शेयर को अब तक बहुत लोगों ने तो खरीद ही लिया हो  जिसके बाद कंम्पनी के पास शेयर समाप्त हो गए होगें तो अब शेयर दलाल उस कंम्पनी का शेयर अब मागं करने वाले निवेशक के लिए कहाँ से लायेगा और कंम्पनी भी शेयर धारक के मर्जी के बगैर अपने शेयर उसने नहीं ले सकती थीं। और जब वो कंम्पनी ज्यादा मुनाफा दे रही है तो जिन्होंने उस कंम्पनी के शेयर खरीदें है वो भला किसी को अपने पास मौजूद शेयर को क्यों देगें। 
फिर शेयर दलालों ने इसकी एक उन्नत तरकीब निकाला जिसने शेयरमार्केट की परिभाषा, दिशा तथा दशा व सबकुछ बदल कर रख दिया।
आप को हम इस बात को उदाहरण देकर समझाते है।
मान लिजिये C (जिसके पास शेयर है)  और B (जिसको शेयर चाहिए) व S (शेयर दलाल है) तीन व्यक्ति है जिसमें C के पास जिस कंम्पनी का शेयर है B को भी उसी कंम्पनी का शेयर चाहिये इसके लिये B उस शेयर की मांग C से करेगा क्योंकि C शेयर दलाल है तब C उस शेयर को S के पास जाकर उस  समय चल रहे उस कंम्पनी के शेयर का भाव मान लिजिये Rs.100 से Rs.2 रू ज्यादा देकर S से खरीद लेता है और फिर वो शेयर B को Rs. 102 लाकर दे देता है।

इस प्रकार शेयर दलाल को बिना कंम्पनी के पास गए शेयर मिल गये जो उसने दुसरे व्यक्ति को दे दिया तथा निवेशक को भी उसके मनपसंद शेयर मिल गया और पुराने शेयर धारक को उस शेयर के भाव से ज्यादा भाव मिल गये।
मतलब अब साफ है की अब दलालों को कंपनियों के पास जाकर शेयर खरीदने की जरूरत अब बहुत हद तक नहीं रह गई।

इस कारण अब शेयरों की Trading होने लगी क्योंकि अब शेयरों की खरीद-बिक्री सिर्फ कंम्पनी और निवेशक के बीच ही नहीं हो रही थी बल्कि एक निवेशक दुसरे निवेशकों के बीच भी होने लगी ।
Trading पर विस्तार से चर्चा हम अपने अगले Post में करेंगे क्योंकि ये Trading है जिसने शेयरमार्केट की व्यवस्था ही बदल दी और लोग क्यों शेयरमार्केट से रातों रात अमीर बनने का सपना देखने लगें इसका मुख्य कारण Trading ही है।

( यहाँ आप को शेयर मार्केट से सम्बंधित सभी topic की पुरी जानकारी सरल भाषा में Lesson Vise दिया जायेगा इसलिए आप इस साईट के कहीं लिख या सेव कर लिजिये।
www.stockmarketinfohindi.blogspot.com )
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